Wednesday, August 31, 2011

आस

हर राही को मंजिल मिले ,
ये जरूरी तो नहीं ,
हर साहिल को किनारा मिले,
जरूरी तो नहीं,
हर सपने को हकीकत मिले,
जरूरी तो नहीं,
हर यादों को मुस्कराहट मिले,
जरूरी तो नहीं ||

 हर कंधे को सहारा मिले,
जरूरी तो नहीं,
हर  दर्द को आंसू मिले,
जरूरी तो नहीं,
हर ज़ज्बात को लब्ज मिले,
जरूरी तो नहीं,
हर  महफ़िल  को सौगात मिले,
जरूरी तो नहीं ||

हर जंग को जीत मिले,
जरूरी तो नहीं,
हर शख्स को प्रीत मिले,
जरूरी तो नहीं ||

हर दिल में तो
कुछ आस होती है ,
हर  आस को ज़िन्दगी मिले,
जरूरी तो नहीं ||


3 comments:

  1. her koi poem likh paye....jaruri toh nhi ;)

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    1. har koi poem samajh paye... jaruri to nhi :P

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    2. shashi.....poem ko poem rahne do...poem ki bip..bip.kerdo
      ye jaruri to nahi...

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