Wednesday, August 31, 2011

कांछा (Desires, Longing)

जब ख्वाइशे मिटती हैं ,
तो दर्द होता है|

जब नजदीकियों का फासला,
एक लम्बा सफ़र होता है ,
जब हर किसी बात का हक़,
एक बीता मंजर होता है |

तो दर्द होता है ,
तो दर्द होता है ||

जब कलकलाहट चुप्पी में बदल जाती है ,
जब मुसकुराहट यादों में खो जाती है ,
जब पुराने पन्नो पर लिखी कहानियां,
आँखों में ओस के बूँद गिराती है |


तो दर्द होता है ,
तो दर्द होता है ||

जब हाथ छूट जाता है ,
हिय भर आता है ,
जब ख्वाइशे मिटती हैं ,
तो दर्द होता है|

जब ख्वाइशे मिटती हैं ,
तो दर्द होता है|

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